अपने दिल की बैचेनी किस को बताऊं।
दर्द दिल में है कैसे किस को दिखाऊं।
खामोश हूँ, बहुत खामोश हूँ मैं।
कहने को है बहुत पर किसको सुनाऊं।
ढूंढ रहा हूँ अपनी हकीकत-ए-ज़िन्दगी।
कब तक ख़्वाबों से ही मन को बहलाऊँ।
उदास हूँ, मन घबराया हुआ है।
इस घबराहट में सुकून कहाँ से लाऊं।
आंखों का भीग जाना तो अब आम बात है।
हंसी जो खो गईं वो लबों पर कहां से लाऊं।
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