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तुम्हारी आँखों के मैकदे


तुम्हारी आँखों के मैकदे में ज़िंदगी बसर हो जाए,
सुबह से शाम ढले और फिर रात हो जाए,

तुम्हारी पलकों की ओठ में आशियाँ हो मेरा,
नज़र तुम्हारी मेरा मुकाम हो जाए,

तेरी आँखों की महकती बहकती खुशबु,
मेरे होने का एहसास बन जाए,

तुम्हारी इन्ही अदाओं से कहीं ऐसा हो,
बेरंग खिज़ा में भी बरसात हो जाए....!!

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