लिखूं गर कुछ मैं सपनो की कलम से,
नाम तेरा निकलता है दिल की जुबां से,
ठहर जाते हैं पल भी कुछ पल को,
एक एहसास सा होता है तेरे होने का,
साँसे महकती हैं तेरी बात होने से,
फासले हैं दरमियाँ गर तो क्या हुआ,
मिटेगा नही प्यार यूँ धुप छॉव होने से,
एक गुजारिश है यह भूल ना जाना मुझको,
बना हूँ मैं तेरी ही हसीन चाहतों से,
ना रही जो मेरे ख़्वाबों की दुनियां,
मर जाऊँगा मैं तेरे खफा हो जाने से,
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