हर तरफ धुआँ ही धुआँ है,
जाने कैसी यह ख़ामोशी है,
कुछ महसूस नही होता,
साथ एक गम की परछाई है,
कोई नही है साथ मेरे,
साथ सिर्फ तन्हाई है,
हर तरफ धुआँ ही धुआँ है,
जाने कैसी यह ख़ामोशी है,
भूल गया हूँ मैं सब कुछ,
साथ सिर्फ तेरी यादें है,
यूँ तो मेरी आँखें नम नही,
साथ दिल के गहरी उदासी है,
न रास्ता है, न मंजिल है,
No comments:
Post a Comment