मंजिलें तो हर किसी के लिए होती हैं ।
पर रास्ते कुछ ही ढूंड पाते हैं ।
कुछ ऐसे इंसान भी मिल जाते हैं ।
जिनका सफलता से कोई बास्ता नहीं
होता ।
थके हारे कहीं बेठे हुए शिकायतों का
एक अम्बार लिए हुए रहते हैं ।
अपने जन्मो कर्म की बातों से दिल को
बहला रहे होते हैं ।
अपनी हार का दोष किसी अंजान शक्ति
पर लगा कर ।
खुद को निदोष साबित कर रहे होते हैं ।
मुफलिसी और बेगेरती से भरी जिंदगी को
अपनी तकदीर बता कर जी रहे होते हैं ।
यह नही की दो पल को उठे और लडें ।
ऐसी हिम्मत तो वो दिखा नहीं पाते ।
हर पल किसी दया के आसरे जी रहे होते
हैं !!
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