वक़्त की सीमाओं को तोड़ते हुए,
चल पडा मैं नए आसमान के लिए,
जो छूट गया पीछे, उसे छोड़ते हुए,
चल पडा मैं नया होंसला लिए,
बेफिक्री और आवारगी को साथ लिए,
चल पडा मैं अनजान गलियों की तलाश लिए,
गम के अंधियारे को चीरते हुए,
चल पडा मैं नई ख़ुशी की तलाश लिए,
धैर्य और सहनशीलता की तेज धार पर,
चल पडा मैं अदम्य सहास लिए,
न यादों का घेरा है, न झुल्फों का साया है,
चल पडा मैं अकेलेपन की तलाश लिए,
किसी के लिए नही, आज खुद के लिए,
चल पडा मैं नई मंजिल की तलाश लिए..!!
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