रोज़-रोज़ तेरा यूँ याद आना,
मेरी आँखों से अश्कों का यूँ बह जाना,
कोई नई बात नही लगती,
ख्वाबों में यूँ आ के तेरा चले जाना,
खुमार मुझको तेरे इश्क-ए-गुलशन का सही,
कांटे बाकी छोड़ जाता है यूँ फूलों का मुरझा जाना,
तपती धूप हैं, सूखे होंठ हैं मेरे,
दर्द देता है बादलों का यूँ बरसे बिना जाना,
यह रातें बहुत लम्बी हैं तुम्हारे बिना,
अच्छा नही ऐ चाँद तेरा यूँ चले जाना,
कुछ देर को तो रूकती की दीदार-ए-यार कर लेता,
किस से सीखा तूने यूँ किसी को तरसा के जाना,
दर्द-ए-आशिकी का कुछ तो सिला देता,
मुझको तोड़ गया तेरा यूँ बेरुखी दिखा के जाना,
मुझसे मेरा ही नाता तोड़ गया ,
कुछ यूँ तेरा मुझ पर तोहमत लगा के जाना !!
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