मेरी मोहब्बत मेरा अंजाम कुछ ऐसा रहा,
हाथ में जाम और आँखों में आंसू रहा,
रोता रहा मैं जिस एहले वफ़ा के लिए,
वो जिंदगी अपनी कही और लुटाता रहा,
गूंज रही एक खामोश सी सदा में कही,
डूबती हुई रौशनी और अंधेरों का साया रहा,
दे गया दगा जो माली था मेरा,
लुटा जब गुलशन तो फूल कोई बाकी न रहा,
बैगेरत हो गई रूह भी तब मेरी,
जब दुनियां में कोई सहारा न रहा,
दिल की धडकनों को जीने का बहना नही मिलता,
ना कोई आसरा न मेरा बजूद रहा,
बिखरा हुआ है अंजाम भी मेरा,
जफ़ा किसी ने की और सज़ा मैं सहता रहा !!
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