आना ही है गर तो ख़्वाब बन के आ।
किसने रोका है तुम्हें मेरा मेहबूब बन के आ।
तू मौजूद रहे मेरी हर एक धड़कन मैं।
आना ही है तो मेरी रगों का खून बन के आ।
किसी और कि आरज़ू को मैं करीब भी न रखूं।
तू आ तो मेरी ऐसी मोहब्बत का पैगाम बन के आ।
ख़ैरात में मिल जाते हैं यहां रंज-ओ-ग़म हर कहीं।
ग़मों की इस पहर में तू ख़ुशी की सहर बन के आ।
किस्से तो हमने भी बहुत सुने हैं मोहब्बतों के जाना।
इन किस्सों में तू मेरी हसीं सी कहानी बन के आ।
तेरी हर एक अदा को मैं दिल-ओ-दीवार में कैद कर लूं।
दीवानगी मेरी तू अपनी जुल्फों में कैद कर के आ।
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