बदले हालातों में मैं ना बदल पाया,
अपनी चाहत को मैं सम्भाल ना पाया ,
छूट गया वो जो अपना था ,
इस जिंदगी से आखिर क्या मैंने पाया ,
दोस्तों से तो मेने वफ़ा चाही ,
और मेने खुद को ही बेवफा पाया,
आखिर करता भी क्या मैं,
मेरे पास और रास्ता था भी कहाँ,
मैं उनको क्या समझाता जब खुद को
ही ना समझा पाया,
वक़्त ने ऐसी करवट ली आज,
मैंने खुद को गर्दिशों मैं पाया…!!
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