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यूँ ही कभी बेरंग सा मौसम हो



यूँ ही कभी बेरंग सा मौसम हो,
तो तुम आओ।
ख्वाबों पर गम का पहरा हो,
तो तुम आओ।
मतबाले बादल घिरने को हों,
तो तुम आओ।
रिमझिम फुहारें बरसने को हों,
तो तुम आओ।
कभी तो तुम आओ, 
काश की तुम आओ।

जब उदास उदास लम्हें हों,
तो तुम आओ।
जब शामों में गहरी तन्हाई हो,
तो तुम आओ।
जब आंखों में अश्कों की धार हो,
तो तुम आओ।
जब तुम्हारी याद-ओ-दीदार हो,
तो तुम आओ।
सदियों का इंतज़ार हो सिरहाने,
तो तुम आओ।
अज़ब सी बे सकुनी हो सिरहाने,
तो तुम आओ।
कभी तो तुम आओ, 
काश की तुम आओ।


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