हुस्न-ओ-अदा महताब सा चेहरा।
फूल सा खिलता गुलाब सा चेहरा।
अन्दाज़-ए-सादगी का आलम तो देखिए।
महक रहा है ख्वाब सा चेहरा।
लहराती जुल्फ़े जैसे रात कोई शबनमी।
झांक रहा है इनसे एक चाँद सा चेहरा।
मधभरी आँखों से देख के अक्स अपना।
शरमा रहा है हसीन सा चेहरा।
छुपा के खुद को हाथों की ओठ में।
खिज़ा में बहार का पैगाम सा चेहरा।
झुकी नजरों में थोड़ी सी शरारत।
होठों में हंसी रखता नायाब सा चेहरा।
निखर रहा है पल पल और भी।
मुकमल गुल-ए-गुलिस्ताँ सा चेहरा।
है सबेरा या उजालों का कोई नया नाम।
चहक रहा है सुनहरी धूप सा चेहरा।
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