बुद्धि तर्क ज्ञान का भण्डार।
सबसे महान है वो अवतार।
अनंतकाल तक आश्चार्य निर्माता।
वेद् पुराण सबका है ज्ञाता।
गुणवान विशाल उच्च मर्यादा है रखता।
दया प्रेम कृपा है बरसाता।
याचना विनय विनती जो उसकी करता।
सर्वोच्च स्वर्ग में स्थान वो पाता।
तीक्ष्ण सूक्ष्म कोमल स्वर उसके।
साथी मित्र सहयोगी हैं सबके।
क्रोध लोभ विलाप के विनाशकर्ता।
नीच घृणित दुष्ट के संहारकर्ता।
दृष्टि मान लक्ष्य है दिखाता।
बिगड़ा हुआ काम है वो बनाता।
भय आंतक में ढाँढस बंधाता।
निर्बल लाचार को करुणा है दिखाता।
क्रूर हृदय में नम्रता है भरता।
अलंकृत उसको प्रकाश से करता।
मुर्ख उसकी दीनता को ना समझता।
विद्वान् उसकी महिमा प्रतिदिन है गाता।
शुद्धता निर्मलता विचारों में है लाता।
आत्मा का सार है उसमें बसता।
बादलों में बारिश बन है बरसता।
मनुष्यता को शिष्टता है सीखता।
रोग दुर्भाग्य को दूर है भगाता।
मेरा खुदा मुझमें है बसता।
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